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NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः

Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.

Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 6 भ्रान्तो बालः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(क) बालः कदा क्रीडितुं निर्जगाम?
उत्तर:
बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं निर्जगाम।

(ख) बालस्य मित्राणि किमर्थं त्वरमाणा बभूवुः?
उत्तर:
बालस्य मित्राणि विद्यालयगमनार्थ त्वरमाणा बभूवुः।

(ग) मधुकरः बालकस्य आह्वानं केन कारणेन न अमन्यत?
उत्तर:
मधुकरः बालकस्य आह्वानं न अमन्यत यतः सः मधुसंग्रहे व्यग्रः आसीत्।

(घ) बालकः कीदृशं चटकम् अपश्यत्?
उत्तर:
बालक चञ्च्या तृणशलाकादिकमाददानं चटकम् अपश्यत्।

(ङ) बालकः चटकाय क्रीडनार्थं कीदृशं लोभं दत्तवान्?
उत्तर:
बालकः चटकाय स्वादूनि भक्ष्यकवलानि दानस्य लोभं दत्तवान्।

(च) खिन्नः बालकः श्वानं किम् अकथयत्?
उत्तर:
खिन्नः बालकः श्वानम् अकथयत्-मित्र! त्वम् अस्मिन् निदाघदिवसे किं पर्यटसि? प्रच्छायशीतलमिदं तरुमूलं आश्रयस्व। अहं त्वामेव अनुरूपं क्रीडासहायं पश्यामि।

(छ) विनितमनोरथः बालः किम् अचिन्तयत्?
उत्तर:
विघ्नितमनोरथः बालः अचिन्तयत्-‘अस्मिन् जगति प्रत्येकं स्व-स्वकृत्ये निमग्नः भवति। कोऽपि अहमिव वृथा कालक्षेपं न सहते। अतः अहमपि स्वोचितं करोमि।’.

प्रश्न 2.
निम्नलिखितस्य श्लोकस्य भावार्थं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत –
यो मां पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो गृहे तस्य। –
रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि।।।
उत्तर:
भावार्थ हिन्दी में प्रस्तुत श्लोक में कुत्ते में भी कर्त्तव्यपालन की भावना अभिव्यक्त की गई है। जहाँ उसे पुत्र के जैसा प्रेम मिला है और उसका पालन-पोषण हुआ है, वहाँ उसे रक्षा के कर्त्तव्य से तनिक भी पीछे नहीं हटना चाहिये-कुत्ते की इसी भावना से बालक प्रभावित होकर विद्याध्ययन की ओर आकृष्ट होता है।

Essence of the hymn-Even the dog has the feeling of performing his duties. He says that it is his duty to protect the house properly where he is nourished with love as a son. By his this feeling, the boy is also encouraged to perform his duty seriously. So, he quickly goes to school to study without wasting further time.

प्रश्न 3.
“भ्रान्तो बालः” इति कथायाः सारांशं हिन्दीभाषया आङग्लभाषया वा लिखत।.
उत्तर:
कथा का सारांश (हिन्दी में)-एक भ्रान्त बालक पाठशाला, जाने के समय खेलने के लिए चल पड़ा। उसने अपने मित्रों से भी खेलने आने को कहा किन्तु सब विद्यालय जाने की जल्दी में थे तथा किसी ने भी उसकी बात न मानी। उपवन में जाकर सबसे पहले उसने भौरे से खेलने को कहा किन्तु उसने पराग सञ्चित करने में अपनी। व्यस्तता बताई। तब उसने चिड़े को स्वादिष्ट खाद्य वस्तुएँ देने का लालच देकर खेलने को कहा किन्तु उसने भी घोंसला बनाने के कार्य में अपनी व्यस्तता बताकर खेलने से इन्कार कर दिया। तत्पश्चात् उसने कुत्ते से खेलने को कहा। कुत्ते ने भी रक्षानियोग के कारण अपनी व्यस्तता प्रकट की।

इस प्रकार नष्ट मनोरथ वाले उस बालक ने अन्त में यह समझ लिया कि समय नष्ट करना उचित नहीं। सभी अपने-अपने कार्यों में व्यस्त हैं, अतः उसे भी अपना कर्तव्य (विद्याप्राप्ति) पूरा करना चाहिए। तभी से वह विद्याप्राप्ति में जुट गया। वह शीघ्र विद्यालय चला गया।

Story in English: Once a boy astrayed and went to play at the time of going to school. He asked his friends also to accompany him but they all were in hurry to go to school. So, no one fulfilled his desire. Then he went to the garden lonely and asked the black-bee first to play with him but the black-bee said that he is busy in collecting the nectar of the flowers. Then he asked the male-sparrow that he will give tasty eatables to him if he plays with him. But he also said that he was busy in making his nest, so he had no time to play. Then he asked the dog to play with him. But he also refused to play as he was busy in performing his duty of: watching the house.

Thus, the boy was very disappointed. Now he understood that it is not advisable to waste time. Everyone is busy in performing his duty. So, he should also fulfill his duty by obtaining an education. Since that day, he engaged himself seriously with obtaining the education. He went to school quickly.

प्रश्न 4.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि।
उत्तर:
कीदृशानि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि।

(ख) चटकः स्वकर्माणि व्यग्रः आसीत्?
उत्तर:
चटकः कस्मिन् व्यग्रः आसीत्?

(ग) कुक्कुरः मानुषाणां मित्रम् अस्ति।
उत्तर:
कुक्कुरः केषां मित्रम् अस्ति?

(घ) स महती वैदुषीं लब्धवान्।
उत्तर:
स कीदृशीं वैदुषीं लब्धवान्?

(ङ) रक्षानियोगकरणात् मया न भ्रष्टव्यम् इति।
उत्तर:
कस्मात् मया न भ्रष्टव्यम् इति?

प्रश्न 5.
“एतेभ्यः नमः” इति उदाहरणमनुसृत्य नमः इत्यस्य योगे चतुर्थी विभक्तेः प्रयोगं कृत्या पञ्चवाक्यानि रचयत।
उत्तर:
1. गुरवे नमः।।
2. पित्रे नमः।
3. आदित्याय नमः।
4. मात्रे नमः।
5. शिक्षिकायै नमः।

प्रश्न 6.
‘क’ स्तम्भे समस्तपदानि ‘ख’ स्तम्भे च तेषां विग्रहः दत्तानि, तानि यथासमक्षं लिखत-
‘क’ स्तम्भ – ‘ख’ स्तम्भ
(क) दृष्टिपथम् – 1. पुष्पाणाम् उद्यानम्
(ख) पुस्तकदासाः – 2. विद्यायाः व्यसनी
(ग) विद्याव्यसनी – 3. दृष्टेः पन्थाः
(घ) पुष्पोद्यानम् – 4. पुस्तकानां दासाः
उत्तर:
‘क’ स्तम्भ – ‘ख’ स्तम्भ
(क) दृष्टिपथम् – 1. दृष्टेः पन्था
(ख) पुस्तकदासाः – 2. पुस्तकानां दासाः
(ग) विद्याव्यसनी – 3. विद्यायाः व्यसनी
(घ) पुष्पोद्यानम् – 4. पुष्पाणाम् उद्यानम

प्रश्न 7.
(क) अधोलिखितेषु पदयुग्मेषु एकं विशेष्यपदम् अपरञ्च विशेषणपदम्। विशेषणपदम् विशेष्यपदं च पृथक्-पृथक् चित्वा लिखत
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः 5

(ख) कोष्ठकगतेषु पदेषु सप्तमीविभक्तेः प्रयोगं कृत्वा रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत
उत्तर:
(i) बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं निर्जगाम। (पाठशालागमनवेला)
(ii) अस्मिन् जगति प्रत्येकं स्वकृत्ये निमग्नो भवति। (इदम्)
(iii) खगः शाखायां नीडं करोति। (शाखा)
(iv) अस्मिन् निदाघदिवसे किमर्थं पर्यटसि? (निदाघदिवस)
(v) नगेषु हिमालयः उच्चतमः। (नग)

परियोजनाकार्यम्

(क) एकस्मिन् स्फोरकपत्रे (Chart Paper) एकस्य उद्यानस्य चित्रं निर्माय संकलय्य वा पञ्चवाक्येषु तस्य वर्णनं कुरुत।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से चार्ट पेपर पर उद्यान का चित्र बनाएं तथा उद्यान के वर्णन में पाँच वाक्य लिख दें-
1. इदम् उद्यानस्य चित्रम् अस्ति।
2. अस्मिन् उद्याने केचन बालकाः क्रीडन्ति।
3. केचन वृद्धाः परस्पर वार्तालापं कुर्वन्ति।
4. अत्र पुरुषाः महिलाः च व्यायामं कर्तुमपि आगच्छन्ति।
5. केचन बालकाः अत्र धावन्ति।

(ख) “परिश्रमस्य महत्वम्” इति विषये हिन्दी भाषया आङ्ग्लभाषया वा पञ्चवाक्यानि लिखत।
उत्तर:
“परिश्रम का महत्व”
1. परिश्रम करने से कार्य सिद्ध होते हैं।
2. परिश्रम से आत्मसन्तोष मिलता है।
3. परिश्रम से मनुष्य के शरीर में आलस नहीं आता।
4. परिश्रम से शरीर में स्फूर्ति रहती है।
5. परिश्रम ही सफलता की कुञ्जी है।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 6 भ्रान्तो बालः Summary Translation in Hindi and English

1. संकेत-भ्रान्तः कश्चन ……………………………….. स्वकर्मव्यग्रो बभूव।

शब्दार्थ (Word-meanings)

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हिन्दी सरलार्थ: भ्रमित कोई बालक पाठशाला जाने के समय खेलने के लिए चला गया किन्तु उसके साथ खेल के द्वारा समय बिताने के लिए कोई भी मित्र उपलब्ध नहीं था। वे सभी पहले दिन के पाठों को स्मरण करके विद्यालय जाने की शीघ्रता से तैयारी कर रहे थे। आलसी बालक लज्जावश उनकी दृष्टि से बचता हुआ अकेला ही उद्यान में प्रविष्ट हो गया।

उसने सोचा-ये बेचारे पुस्तक के दास वहीं रुकें, मैं तो अपना मनोरंजन करूँगा। क्रुद्ध गुरु जी का मुख मैं बाद में देखूगा। वृक्ष के खोखलों में रहने वाले ये प्राणी (पक्षी) मेरे मित्र बन जाएँगे।

तब उसने उस उपवन में घूमते हुए भौरे को देखकर खेलने के लिए बुलाया। उसने उसकी दो-तीन आवाजों की ओर तो ध्यान ही नहीं दिया। तब बार-बार हठ करने वाले उस बालक के प्रति उसने गुनगुनाया-हम तो पराग सञ्चित करने में व्यस्त हैं।

तब उस बालक ने अपने मन में ‘व्यर्थ में घमण्डी इस कीड़े को छोड़ो’ ऐसा सोचकर दूसरी ओर देखते हुए एक चिड़े (पक्षी) को चोंच से घास-तिनके आदि उठाते हुए देखा। वह उससे बोला- “अरे चिड़िया के शावक! तुम मुझ मनुष्य के मित्र बनोगे? आओ खेलते हैं। इस सूखे तिनके को छोड़ो, मैं तुम्हें स्वादिष्ट खाद्य-वस्तुओं के ग्रास दूँगा।” “मुझे बरगद के वृक्ष की शाखा पर घोंसला बनाना है, अतः मैं काम से जा रहा हूँ’-ऐसा कहकर वह अपने काम में व्यस्त हो गया।

Meaning in English: One astrayed boy went to play at the time when he had to go his school but he did not get any friend to play and pass his time because all of his friends were making. haste to go to school after remembering the lessons which were taught the previous day. That lazy boy turned aside being ashamed not falling in their sight and entered alone in any garden.

He thought-let these poor bookworms stay there, I will entertain myself. I will see the angry teacher afterward only. These birds who live in the hollow of the trees may become my friends.

Then he called a black-bee to play which was wandering in that garden. He did not care for his two-three calls. Then he said the boy who was insisting again and again-“We are busy in. collecting the nectar of the flowers.

Then the boy thought ‘let me leave this proud insect and turned his sight towards a he-sparrow who was collecting grass etc. He said to him, “Oh small sparrow! will you be a friend of a human being? Come, let us play. Leave this dry grass. I will give you the tasty morsels of eatables.” ‘I have to make my nest on the branch of the banyan-tree, so I am going for that work-saying so, he became busy with his work.

संकेत-तदा खिन्नो ………………………….. सम्पदं च लेभे।

शब्दार्थ (Word-meanings)

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हिन्दी सरलार्थ: तब दुःखी बालक ने कहा-ये पक्षी मनुष्यों के समीप नहीं आते, अतः मैं, मनुष्यों के योग्य किसी अन्य मनोरंजन करने वाले को ढूँढ़ता हूँ-ऐसा सोचकर भागते हुए किसी कुत्ते को देखकर प्रसन्न हुए उस बालक ने कहा-हे मनुष्यों के मित्र! इतनी गर्मी के दिन में व्यर्थ क्यों घूम रहे हो? इस घनी और शीतल छाया वाले वृक्ष का आश्रय लो। मैं भी खेल में तुम्हें ही उचित सहयोगी समझता हूँ। कुत्ते ने कहा जो पुत्रतुल्य मेरा पोषण करता है, उस स्वामी के घर दी रक्षा के कार्य में लगे होने से मुझे थोड़ा-सा भी नहीं हटना चाहिए।

सबके द्वारा इस प्रकार मना कर दिए जाने पर टूटे मनोरथ वाला वह बालक सोचने लगा-इस संसार में प्रत्येक प्राणी अपने-अपने कर्तव्य में व्यस्त है। कोई भी मेरी तरह समय नष्ट नहीं कर रहा है। इन सबको प्रणाम-जिन्होंने आलस्य के प्रति मेरी घुणा भावना उत्पन्न कर दी। अतः मैं भी अपना उचित कार्य करता हूँ-ऐसा सोचकर वह शीघ्र ही पाठशाला चला गया।

तब से विद्याध्ययन के प्रति इच्छायुक्त होकर उसने विद्वत्ता, कीर्ति तथा धन को प्राप्त किया।

Meaning in English: Then that boy became unhappy. He thought-these birds do not come near human-beings. So I search for another who may be able to entertain me. Thinking thus, he saw a dog which was running. Being happy that boy said to him “Oh friend of the human-beings! Why are you wandering in such a hot day? I consider you only worthy to play.” The dog said I should not ignore my duty to guard the house of my master who nourishes me as his own son.

Thus, being refused to play by everyone, the boy disappointed and thought, everyone in this world is busy in performing his duty. No one is wasting his time like me. I bow to these all who have awaken in me the feeling of hatred towards laziness. So I also will do what is good for me-thinking so, he went to the school quickly.

Since then, he became eager to study and thus, achieved scholarship, fame and wealth.

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