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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं.

Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Hindi Kshitiz
Chapter Chapter 17
Chapter Name बच्चे काम पर जा रहे हैं
Number of Questions Solved 23
Category NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभारता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
कविता की पहली दो पंक्तियाँ इस प्रकार हैं-

कोहरे से ढंकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं।
सुबह सुबह

इन्हें पढ़कर मेरे मन-मस्तिष्क में चिंता और करुणा का भाव उमड़ता है। करुणा का भाव इस कारण उमड़ता है कि इन बच्चों की खेलने-कूदने की आयु है किंतु इन्हें भयंकर कोहरे में भी आराम नहीं है। पेट भरने की मजबूरी के कारण ही ये । ठंड में सुबह उठे होंगे और न चाहते हुए भी काम पर चल दिए होंगे। चिंता इसलिए उभरी कि इन बच्चों की यह दुर्दशा कब समाप्त होगी? कब समाज बाल-मजदूरी से मुक्ति पाएगा? परंतु कोई समाधान न होने के कारण चिंता की रेखा गहरी हो गई।

प्रश्न 2.
कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में बच्चों के काम पर जाने की स्थिति को विवरण या वर्णन की तरह नहीं लिखा जाना चाहिए क्योंकि ऐसा वर्णन किसी के मन में भावनात्मक लगाव और संवेदनशीलता नहीं पैदा कर सकता है, कुछ सोचने के लिए विवश नहीं कर सकता है। इसे प्रश्न के रूप में पूछे जाने पर एक जवाब मिलने की आशा उत्पन्न होती है। इसके लिए समस्या से जुड़ाव, जिज्ञासा एवं व्यथा उत्पन्न होती है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर-
समाज की व्यवस्था और गरीबी के कारण बच्चे सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से वंचित हैं। भारत में करोड़ों लोग पेट भर रोटी नहीं जुटा पाते। इसलिए उनके बच्चों को भी बचपन से कामकाज करना पड़ता है। यह उनकी जन्मजात विवशता होती है। एक भिखारी, मजदूर या गरीब व्यक्ति का बच्चा गेंद, खिलौने, रंगीन किताबें कहाँ से लाए?

समाज की व्यवस्था भी बाल-श्रमिकों को रोकने में सक्षम नहीं है। यद्यपि सरकार ने इस विषय में कानून बना दिए हैं। किंतु वह बच्चों को निश्चित रूप से ये सुविधाएँ दिला पाने में समर्थ नहीं है। न ही सरकार या समाज के पास इतने साधन हैं, न गरीबी मिटाने के उपाय हैं और न इच्छा-शक्ति। इसलिए बच्चे वंचित हैं।

प्रश्न 4.
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर-
जीवन में बच्चों को काम पर जाते हुए देखकर भी लोग उदासीन बने रहते हैं। इस उदासीनता के अनेक कारण हैं; जैसे-

  • लोग इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि वे सोचते हैं कि छोड़ो, यह कौन-सा हमारा बच्चा है।
  • लोगों की स्वार्थ भावना इस उदासीनता को बढ़ाती है। वे अधिक लाभ कमाने और कम मजदूरी देने के लालच में बच्चों से काम करवाते हैं।
  • बाल श्रम कानून का पालन कराने वाले अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्य का उचित निर्वाह न करना समाज की उदासीनता बढ़ाता है।

प्रश्न 5.
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
उत्तर-
मैंने अपने शहर में बच्चों को अनेक स्थलों पर काम करते देखा है। चाय की दुकान पर, होटलों पर, विभिन्न दुकानों पर, घरों में, निजी कार्यालयों में। मैंने उन्हें सुबह से देर रात तक, हर मौसम में काम करते देखा है।

प्रश्न 6.
बच्चों को काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
उत्तर-
बच्चों का काम पर जाना एक बड़े हादसे के समान इसलिए है क्योंकि खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में काम करने से बालश्रमिकों का भविष्य नष्ट हो जाता है। इससे एक ओर जहाँ शारीरिक विकास अवरुद्ध होता है, वहीं उनका मानसिक विकास भी यथोचित ढंग से नहीं हो पाता है। ऐसे बच्चे जीवनभर के लिए अकुशल श्रमिक बनकर रह जाते हैं। इससे उनके द्वारा समाज और देश के विकास में उनके द्वारा जो योगदान दिया जाना था वह नहीं मिलता है जिससे प्रगति की दर मंद पड़ती जाती है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आप को रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
उत्तर-
आज मुझे स्कूल जाना था। मैंने होम वर्क भी पूरा कर लिया था। परंतु क्या करूं? पिताजी बीमार हैं। माँ उनकी देखभाल में व्यस्त हैं। न पिता काम पर जा पा रहे हैं और न माँ। माँ ने मुझे अपनी जगह बर्तन-सफाई के काम पर भेज दिया। मैं यह काम नहीं करना चाहती और उस मोटी आंटी के घर में तो बिलकुल नहीं करना चाहती जिसने दरवाजे पर कुत्ता बाँध रखा है। मेरे घुसते ही कुत्ता भौंकने लगता है। डरते-डरते अंदर जाती हूँ तो मालकिन ऐसे पेश आती है जैसे मैं लड़की ने हूँ, बल्कि उसकी खरीदी हुई गुलाम हूँ। सच कहूँ, मुझे ग्लानि होती है। अगर मजबूरी न होती, तो मैं काम-धंधे की ओर मुड़कर भी न देखती।

प्रश्न 8.
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
उत्तर-
मेरे विचार से बच्चों को काम पर इसलिए नहीं भेजा जाना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों का बचपन नष्ट होता है। वे जीवन भर के लिए मजदूर बनकर रह जाते हैं। बच्चों का काम पर जाना समाज के माथे पर कलंक है। इस कलंक से बचने के लिए बच्चों से बाल मजदूरी नहीं करवानी चाहिए।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 9.
किसी कामकाजी बच्चे से संवाद कीजिए और पता लगाइए कि-
(क) वह अपने काम करने की बात को किस भाव से लेता/लेती है?
(ख) जब वह अपनी उम्र के बच्चों को खेलने/पढ़ने जाते देखता/देखती है तो कैसा महसूस करता/करती है?
उत्तर-
छात्र किसी कामकाजी बच्चे से स्वयं संवाद करें और उसके मनोभावों का पता लगाएँ।

प्रश्न 10.
‘वर्तमान युग में सभी बच्चों के लिए खेलकूद और शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हैं’-इस विषय पर वाद-विवाद आयोजित कीजिए।
उत्तर-
छात्र उक्त विषय पर वाद-विवाद का आयोजन स्वयं करें।

प्रश्न 11.
‘बाल श्रम की रोकथाम’ पर नाटक तैयार कर उसकी प्रस्तुति कीजिए।
उत्तर-
छात्र ‘बालश्रम की रोकथाम’ पर नाटक तैयार करें और उसकी प्रस्तुति दें।

प्रश्न 12.
चंद्रकांत देवताले की कतिवा ‘थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे’ (लकड़बग्घा हँस रहा है) पढ़िए। उस कविता के भाव तथा प्रस्तुत कविता के भावों में क्या साम्य है?
उत्तर-
छात्र कविता को पढ़कर भावों की साम्यता का पता स्वयं करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चों को किस समय और कहाँ जाते हुए देखकर कवि को पीड़ा हुई है? बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के आलोक में लिखिए।
उत्तर-
बच्चों को कड़ी सरदी में सवेरे-सवेरे कोहरे से ढंकी सड़क पर जाते हुए देखकर हुआ। ये बच्चे कारखानों और अन्य स्थानों पर बाल मजदूरी करने जा रहे थे। खेलने-कूदने की उम्र में बच्चों को काम पर जाते देख कवि को पीड़ा हुई।

प्रश्न 2.
कवि के लिए बच्चों का काम पर जाना चिंता का विषय क्यों बन गया है? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं? कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
कवि के लिए बच्चों का काम पर जाना चिंता का विषय इसलिए बन गया है क्योंकि आज के बच्चे कल का भविष्य हैं। जिस उम्र में बच्चों को खेल-कूदकर बचपन का आनंद लेना चाहिए, स्वस्थ और सबल बनना चाहिए तथा पद-लिखकर योग्य नागरिक बनना चाहिए, उस उम्र में काम करके अपना भविष्य अंधकारमय कर रहे हैं।

प्रश्न 3.
बालश्रम अपराध है फिर भी बच्चों को काम करते हुए देखा जा सकता है। इसके क्या कारण हो सकते हैं, लिखिए।
उत्तर
बालश्रम अपराध है फिर भी हम बच्चों को काम करते हुए देखते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। इनमें सबसे पहला कारण गरीबी है। बच्चों की मूलभूत ज़रूरतें पूरी न करने पर माँ-बाप उन्हें काम पर भेजने को विवश हो जाते हैं। इसके अलावा लोगों की स्वार्थी प्रवृत्ति तथा संवेदनहीनता के कारण बच्चे काम करते हुए देखे जा सकते हैं।

प्रश्न 4.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’-कविता में काले पहाड़ किसके प्रतीक हैं? ये काले पहाड़ किस तरह हानिप्रद हैं?
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता में काले पहाड़ समाज में व्याप्त शोषण व्यवस्था के प्रतीक हैं। इसी व्यवस्था के कारण समाज का एक वर्ग बच्चों का शोषण करता है, उनसे काम करवाकर उनका भविष्य खराब करता है और बहुत कम मजदूरी देकर अपनी जेब भरता है।

प्रश्न 5.
बच्चों को काम पर जाता देखकर आपके मन में जो विचार आते हैं उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
बच्चों को काम पर जाता देखकर हमारे मन में यह विचार आता है कि इस उम्र में बच्चों को काम करने के बजाय पढ़ने लिखने और खेलने-कूदने का अवसर मिलना चाहिए ताकि ये मज़दूर न बनकर योग्य नागरिक बने तथा समाज व देश की प्रगति में अपना योगदान दें।

प्रश्न 6.
बालश्रम की समस्या बढ़ाने में समाज की संवेदनहीनता का भी योगदान है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
बालश्रम की समस्या पर रोक लगाने पर भी यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। इसका कारण है कि समाज के लोग बच्चों को काम पर जाता हुआ देखकर भी अनदेखा करते हैं और बच्चों के भविष्य के प्रति उदासीन दृष्टिकोण बनाए रखते हैं। इस संवेदनहीनता के कारण यह समस्या बढ़ती ही जा रही है।

प्रश्न 7.
‘बच्चे, बहुत छोटे बच्चे’ पंक्ति के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि कवि किस बात पर हर देश चाहता है?
उत्तर-
‘बच्चे, बहुत छोटे बच्चे के माध्यम से कवि इस बात पर जोर देना चाहता है कि कामे परे जाने के लिए विवश बच्चों की उम्र ऐसी नहीं है कि वे काम पर जाएँ। इतने छोटे बच्चों को खेलना कूदना और पढ़ना-लिखना चाहिए। इतनी छोटी उम्र में काम करने से इनका बचपन नष्ट हो रहा है।

प्रश्न 8.
काम पर जाने वाले बच्चों के साथ के कार्यस्थलों एवं कारखानों पर कैसा व्यवहार किया है, अपने अनुभव एवं विवेक से लिखिए।
उत्तर-
काम करने वाले बच्चों के साथ कारखानों और कार्यस्थलों पर अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है। उन्हें बात-बात पर तथा ज़रा सी गलती के लिए डाँटा-फटकारा और मारा-पीटा जाता है। अनजाने में भी हुए नुकसान के दंडस्वरूप उनकी मजदूरी काट ली जाती है। उनसे अधिक समय काम करवाने पर भी कम मजदूरी दी जाती है।

प्रश्न 9.
‘तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में ऐसा प्रश्न कवि कब और क्यों करता है?
उत्तर-
‘तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में ?’ कवि ऐसा प्रश्न तब करता है जब वह देखता है कि बहुत छोटे-छोटे बच्चे काम पर जाने को विवश हैं। कवि सोचता है कि यह बच्चों के खेलने और पढ़ने के दिन हैं। क्या किताबें, खिलौने, गेंदें विद्यालय आदि नष्ट हो गए हैं? यदि हाँ तो दुनिया में जीने के लायक कुछ भी नहीं बचा है।

प्रश्न 10.
‘दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए’ कहकर कवि ने किस ओर संकेत किया है? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कविता के आलोक में लिखिए।
उत्तर-
‘दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए’ कहकर कवि ने बाल मजदूरी की समस्या की व्यापकता की ओर संकेत किया है। यह समस्या किसी देश विशेष की न होकर पूरे विश्व की समस्या है। गरीबी के कारण दुनिया भर में लाखों-करोड़ों बच्चे बाल श्रमिक बनने को विवश हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बालश्रम क्या है? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं इसे रोकने के लिए आप कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर-
छोटे-छोटे बच्चों से काम करवाना बालश्रम कहलाता है। इससे मासूमों का बचपन छिन जाता है। वे पढ़-लिख नहीं पाते हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय बन जाता है। सरकार द्वारा इसे अपराध घोषित किया गया है। इसे रोकने के लिए कुछ सुझाव हैंसरकार को अत्यंत गरीबों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवानी चाहिए ताकि गरीबी के कारण वे अपने बच्चों को काम पर भेजने के लिए विवश न हों।

बच्चों से काम करवाने वालों को कठोर दंड दिया जाना चाहिए। बाल श्रमिकों की पहचानकर उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस दिशा में समाज को भी अपनी सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है।

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